छत्तीसगढ़ बिलासपुर ट्रेन हादसा: सिग्नल गलती से पैसेंजर और मालगाड़ी की टक्कर, राहत और जांच अभियान जारी


बिलासपुर ट्रेन हादसा: आठ की मौत, सिग्नल त्रुटि की जांच तेज

Chhattisgarh: Bilaspur में पैसेंजर और मालगाड़ी की टक्कर से बड़ा हादसा - राहत और जांच अभियान जारी — राहत और जांच कार्य जारी

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मंगलवार शाम हुई रेल दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। बिलासपुर-कोरबा रेलखंड पर गटोरा स्टेशन के पास एक पैसेंजर ट्रेन ने खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मार दी। दुर्घटना इतनी भीषण थी कि ट्रेन का अगला डिब्बा मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया और कई यात्री फँस गए।

रात नौ बजे तक की जानकारी के अनुसार, इस हादसे में आठ यात्रियों की मौत हो चुकी है जबकि 14 से अधिक लोग घायल हुए हैं। घायलों को बिलासपुर के CIMS और अपोलो अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।

कैसे हुआ हादसा

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि MEMU पैसेंजर ट्रेन ने “रेड सिग्नल” पार कर दिया था, जिसके बाद वह सामने खड़ी मालगाड़ी से जा टकराई। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह या तो मानवीय गलती थी या सिग्नल सिस्टम में तकनीकी खराबी — दोनों संभावनाओं की जांच की जा रही है।

“हमने एक तेज धमाका सुना और कुछ ही पलों में डिब्बों में अफरातफरी मच गई। लोग चिल्ला रहे थे, कुछ बाहर कूदने की कोशिश कर रहे थे,” — एक प्रत्यक्षदर्शी यात्री ने बताया।

राहत और बचाव कार्य

घटना के तुरंत बाद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) ने राहत और बचाव अभियान शुरू किया। जिला प्रशासन, NDRF और SDRF की टीमें रात भर मौके पर जुटी रहीं। राहत ट्रेनें भेजी गईं और घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया।

  • 100 से अधिक यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
  • घायलों को प्राथमिक चिकित्सा के बाद बेहतर इलाज के लिए बिलासपुर भेजा गया।
  • रेलवे ने परिजनों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए।

सरकार और रेलवे की कार्रवाई

रेलवे ने मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को ₹5 लाख और सामान्य घायलों को ₹1 लाख की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। मुख्यमंत्री और रेल मंत्री ने हादसे पर गहरा दुख जताया और जांच के आदेश दिए हैं।

जांच और प्रारंभिक रिपोर्ट

Commissioner of Railway Safety (CRS) को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शुरुआती रिपोर्ट में संकेत मिले हैं कि ट्रेन ने “डेंजर सिग्नल” पार किया था। हालांकि, सिग्नलिंग सिस्टम की तकनीकी खराबी से इनकार नहीं किया गया है। रेलवे अधिकारियों ने कहा है कि लोको पायलट और सहायक चालक के बयान से स्थिति स्पष्ट होगी।

रेलवे की तकनीकी टीम “Loco Data Logger” (ब्लैक बॉक्स) का डेटा खंगाल रही है ताकि यह पता चल सके कि टक्कर के समय ट्रेन की स्पीड कितनी थी और सिग्नल पर क्या स्थिति थी।

रेल परिचालन पर असर

हादसे के बाद बिलासपुर-कोरबा रेलखंड पर ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई। कई लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनों को डायवर्ट किया गया। रात 9 बजे तक राहत कार्य जारी था, और बुधवार सुबह तक ट्रैक की मरम्मत पूरी होने की संभावना है।

रेल सुरक्षा पर उठे सवाल

यह दुर्घटना एक बार फिर भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है। लगातार तकनीकी अपग्रेडेशन के बावजूद, मानवीय त्रुटियाँ हादसों का कारण बन रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे को सुरक्षा उपकरणों और कर्मियों के प्रशिक्षण दोनों पर ध्यान देना होगा।

  • सभी रूट्स पर आधुनिक ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम लागू किया जाए।
  • लोको पायलट के लिए नियमित रिफ्रेशर ट्रेनिंग आवश्यक की जाए।
  • हर दुर्घटना के बाद पारदर्शी तकनीकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।

स्थानीय स्थिति और ताजा अपडेट (रात 9 बजे)

बिलासपुर प्रशासन ने बताया कि घटनास्थल पर मलबा हटाने का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। रेल मंत्री ने ट्वीट किया कि “दुर्घटना बेहद दुखद है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।” मुख्यमंत्री ने हादसे में मृतकों के परिजनों को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सहायता राशि देने की घोषणा की है।

निष्कर्ष

बिलासपुर ट्रेन हादसा केवल एक रेल दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रणालीगत लापरवाही का गंभीर उदाहरण है। राहत दलों की तत्परता सराहनीय रही, परंतु भविष्य में ऐसी घटनाएँ रोकने के लिए सुरक्षा तंत्र का आधुनिकीकरण अत्यावश्यक है। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए — यही इस त्रासदी का सबसे बड़ा सबक है।

हम मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।