राष्ट्रीय एकता दिवस 2025: सरदार पटेल को पीएम मोदी का नमन
31 अक्टूबर 2025 को भारत ने फिर से एक ऐसी हस्ती को नमन किया, जिनकी वजह से यह देश एक सूत्र में बंधा — सरदार वल्लभभाई पटेल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के एकता नगर में स्थित विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह दिन केवल एक जयंती नहीं, बल्कि उस व्यक्ति की विचारधारा का उत्सव है जिसने “एक भारत” की नींव रखी।
सुबह की पहली किरण के साथ ही केवड़िया का वातावरण देशभक्ति से गूंज उठा। राष्ट्रीय एकता दिवस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल का जीवन हमें यह सिखाता है कि “एकता केवल विचार नहीं, यह राष्ट्र की आत्मा है।” उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे भारत की एकता, अखंडता और समरसता के लिए संकल्प लें। इस मौके पर “रन फॉर यूनिटी” जैसे कार्यक्रमों में लाखों लोग शामिल हुए।
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एक भारत की परिकल्पना: सरदार पटेल का योगदान
1947 में जब भारत आज़ाद हुआ, तब 560 से अधिक रियासतें अलग-अलग झंडों, मुद्राओं और सेनाओं के साथ मौजूद थीं। यह एक ऐसा समय था जब भारत का एकजुट रहना लगभग असंभव लग रहा था। लेकिन सरदार पटेल ने असंभव को संभव कर दिखाया। उनकी राजनीतिक दूरदृष्टि, दृढ़ निश्चय और व्यवहारिक नेतृत्व ने इन रियासतों को एक सूत्र में बांधा। उन्होंने देश को बताया कि “एकता केवल सीमा का नहीं, बल्कि हृदय का मामला है।”
उनकी कूटनीति और समझौते की क्षमता का उदाहरण है — हैदराबाद और जूनागढ़ का भारत में विलय। उन्होंने बिना युद्ध के भी विजयी राह चुनी। उनकी यह सोच थी कि अगर भारत को विश्व में नेतृत्व करना है तो पहले उसे अपने भीतर एकता लानी होगी। यही विचार आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना 1947 में था।
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पीएम मोदी का संदेश: एकता ही विकास की आधारशिला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि सरदार पटेल केवल लौह पुरुष नहीं थे, वे भारत की आत्मा के निर्माता थे। उन्होंने कहा — “आज जब भारत विश्व पटल पर नई ऊंचाइयों को छू रहा है, तब हमें पटेल की उस एकता भावना को याद रखना होगा जो हमारे विकास की सबसे बड़ी शक्ति है।”
पीएम मोदी ने यह भी जोड़ा कि भारत के युवाओं को “एकता” को केवल नारे तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब देश का हर नागरिक अपने कर्तव्य को राष्ट्रहित में निभाता है, तभी सच्चे अर्थों में एक भारत श्रेष्ठ भारत बनता है।
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एकता नगर से देशभर तक गूंजा राष्ट्रगान
गुजरात का एकता नगर इस अवसर पर देशभक्ति के रंगों से नहा उठा। स्कूली बच्चों की परेड, संस्कृति झांकियों और सेना के बैंड की धुनों ने माहौल को प्रेरणादायक बना दिया। “रन फॉर यूनिटी” में छोटे गांवों से लेकर महानगरों तक के लोग शामिल हुए। कहीं स्कूलों में भाषण प्रतियोगिता हुई, तो कहीं ग्रामीणों ने सरदार पटेल के जीवन पर नाट्य प्रस्तुतियां दीं।
यह केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि भारत की विविधता में एकता का जीवंत उदाहरण था। उत्तराखंड के हिमालय से लेकर केरल के तट तक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक, हर जगह एक ही आवाज़ गूंज रही थी — “हम एक हैं, हम भारतीय हैं।”
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सरदार पटेल का दृष्टिकोण: लोहे से नहीं, विश्वास से जुड़ता है राष्ट्र
पटेल का मानना था कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है। उन्होंने कहा था, “हमारे धर्म, भाषा और परंपराएं भले अलग हों, लेकिन हमारा उद्देश्य एक है — राष्ट्र की सेवा।” यही सोच उन्हें दूसरों से अलग बनाती थी। उन्होंने बताया कि जब एक व्यक्ति अपने मतभेदों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में सोचता है, तब सच्चा लोकतंत्र जन्म लेता है।
आज जब देश में प्रौद्योगिकी, शिक्षा और रक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने की बात हो रही है, तब सरदार पटेल की वही सोच हमें प्रेरित करती है। एकजुट भारत ही आत्मनिर्भर भारत बन सकता है। उनकी यह दृष्टि आज के आधुनिक भारत में भी उतनी ही सशक्त है।
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पटेल की प्रशासनिक विरासत
सरदार पटेल ने न केवल रियासतों का एकीकरण किया बल्कि प्रशासनिक ढांचे को भी मजबूत बनाया। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की नींव रखी। उनका मानना था कि ये सेवाएं देश की “स्टील फ्रेम” हैं, जो इसे टूटने नहीं देंगी।
आज भारत का प्रशासन, उसकी एकता और स्थिरता का प्रमाण है। हर अधिकारी, हर सिपाही जब देश की सेवा करता है, तो उसमें सरदार पटेल के विचार झलकते हैं — “कर्तव्य ही राष्ट्र सेवा का सर्वोच्च रूप है।”
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2025 का भारत और एकता की नई परिभाषा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि “2047 का भारत” तभी सफल होगा जब 2025 का भारत एकजुट रहेगा। उन्होंने बताया कि “विकसित भारत” का सपना केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता पर भी आधारित है। डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाएं उसी भावना से प्रेरित हैं।
उन्होंने युवाओं से कहा कि “अगर सरदार पटेल जैसी इच्छा शक्ति हर भारतीय में हो, तो कोई भी बाधा हमें नहीं रोक सकती।” यह कथन भारत की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गया।
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देशभर में एकता का उत्सव
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, पटना, लखनऊ और भोपाल सहित सभी राज्यों में एकता दिवस पर भव्य आयोजन हुए। सरकारी कार्यालयों में “एकता प्रतिज्ञा” दिलाई गई और स्कूलों में “भारत की विविधता” पर विशेष कार्यक्रम हुए।
यह दिन हर भारतीय को याद दिलाता है कि हम भले अलग राज्यों, भाषाओं और परंपराओं से आते हों, पर हमारा दिल एक है — भारत माता के लिए धड़कता हुआ।
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युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा
आज की युवा पीढ़ी सरदार पटेल की जीवनी से सीख सकती है कि सच्चा नेतृत्व कठिन परिस्थितियों में भी शांति और समझदारी से निर्णय लेना है। प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को संदेश दिया कि वे अपने कर्म, शिक्षा और नवाचार से भारत को विश्वगुरु बनाएं।
सरदार पटेल की तरह यदि हर भारतीय अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित हो, तो भारत न केवल आर्थिक बल्कि नैतिक रूप से भी सबसे मजबूत राष्ट्र बन सकता है।
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निष्कर्ष: सरदार पटेल – भारत की आत्मा
राष्ट्रीय एकता दिवस केवल एक समारोह नहीं, बल्कि उस विचार का पुनर्जन्म है जिसने भारत को एकजुट रखा। सरदार पटेल की सोच, उनकी दूरदृष्टि और त्याग की भावना आज भी भारत के हर नागरिक के भीतर जीवित है।
31 अक्टूबर 2025 को जब प्रधानमंत्री मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि दी, तो पूरा भारत एक स्वर में कह रहा था — “एकता हमारी ताकत है, और सरदार पटेल उसकी आत्मा।” यही भारत की सच्ची श्रद्धांजलि है।
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